किसानों को वित्त या साख की आवश्यकता क्यों होती है ?
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भारत में किसानों को अल्पकालीन, मध्यकालीन एवं दीर्घकालीन तीन प्रकार के साख की आवश्यकता होती है। अल्पकालीन साख की आवश्यकता प्रायः 6 से 12 महीने तक की होती है, इसलिए इसे मौसमी साख भी कहते हैं। इनकी मांग खाद एवं बीज खरीदने, मजदूरी चुकाने तथा ब्याज आदि का भुगतान करने के लिए की जाती है। प्रायः फसल कटने के बाद किसान इन्हें वापस लौटा देता है। मध्यकालीन साखं कृषि यंत्र, हल, बैल आदि खरीदने के लिए ली जाती है। इनकी अवधि प्रायः एक वर्ष से 5 वर्ष तक की होती है। दीर्घकालीन साख की अवधि प्राय: 5 वर्षों से अधिक की होती है। किसानों को सिंचाई की व्यवस्था करने, भूमि को समतल बनाने तथा महो कृषि यंत्र आदि खरीदने के लिए इस प्रकार के ऋण की आवश्यकता होती है। ये ऋण कृषि क्षेत्र में स्थायी सुधार लाने के लिए होते हैं।
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