मुद्रा बाजार तथा पूंजी बाजार, वित्तीय संस्थाओं के दो वर्ग है। मुद्रा बाजार की वित्तीय संस्थाएं साख या ऋण का अल्पकालीन लेन-देन करती है। इसके विपरीत पूंजी बाजार की संस्थाएँ उद्योग तथा व्यापार की दीर्घकालीन साख की आवश्यकताओं को पूरा करती है। मुद्रा बाजार में बैंक तथा देशी बैंकर आदि है तथा पूँजी बाजार में शेयर मार्केट शामिल है।