किसी लंबी सीधी परिनालिका में धारा प्रवाहित करने पर इसके दोनों सिरों पर N तथा S ध्रुव बन जाते है। निम्न में से कौन-सा असत्य प्रकथन है?
  1. परिनालिका के भीतर क्षेत्र रेखाएँ, सरल रेखाओं के रूप में होती हैं जो यह निर्दिष्ट करता हैं कि परिनालिका के भीतर सभी बिंदुओं पर चुंबकीय क्षेत्र समान होता है।
  2. परिनालिका के भीतर उत्पन्न प्रबल चुंबकीय क्षेत्र का उपयोग चुंबकीय पदार्थ जैसे नर्म लोहे के टुकड़ों को, परिनालिका के भीतर रखकर, चुंबकित करने में किया जा सकता है।
  3. परिनालिका से संबद्ध चुंबकीय क्षेत्र का पैटर्न छड़ चुंबक के चारों ओर के चुंबकीय क्षेत्र के पैटर्न से भिन्न होता है।
  4. परिनालिका में प्रवाहित धारा की दिशा उत्क्रमित करने पर N तथा S ध्रुवों की अदला-बदली हो जाती है।
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परिनालिका छड़-चुम्बक की भाँति व्यवहार करती है। अतः परिनालिका के अंदर और चारो तरफ संबद्ध चुम्बकीय क्षेत्र का पैटर्न छड़ चुम्बक के चुम्बकीय क्षेत्र के पैटर्न के समान होता है।
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    निम्नलिखित में असत्य प्रकथन का चयन कीजिए:
    1. प्रेरित धारा की दिशा जानने के लिए फ्लेमिंग दक्षिण हस्त नियम एक सरल नियम है।
    2. धारावाही चालक के चुंबकीय क्षेत्र की दिशा जानने के लिए दक्षिण हस्त अंगुष्ठ नियम उपयोग किया जाता है।
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