निम्नलिखित में असत्य प्रकथन का चयन कीजिए:
  1. प्रेरित धारा की दिशा जानने के लिए फ्लेमिंग दक्षिण हस्त नियम एक सरल नियम है।
  2. धारावाही चालक के चुंबकीय क्षेत्र की दिशा जानने के लिए दक्षिण हस्त अंगुष्ठ नियम उपयोग किया जाता है।
  3. दिष्ट तथा प्रत्यावर्ती धाराओं में यह अंतर है कि दिष्ट धारा सदैव एक ही दिशा में प्रवाहित होती है, जबकि प्रत्यावर्ती धारा की दिशा आवर्ती रूप से उत्क्रमित होती है।
  4. भारत में प्रत्यावर्ती धारा में प्रत्येक $\frac{1}{50}$ सेकंड के पश्चात दिशा परिवर्तन होता है।
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भारत में प्रत्यावर्ती धारा (AC) में प्रत्येक $\frac{1}{100}$ सेकण्ड में पश्चात् दिशा परिवर्तन होता है, अर्थात इस परतवर्ती धारा की आवृति 50 Hz है।
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    चित्र में दर्शाए अनुसार कागज़ के तल में बाएं से दायीं ओर संकेत करते हुए कोई एक समान चुंबकीय क्षेत्र है। चित्र में दर्शाए अनुसार एक इलेक्ट्रॉन तथा एक प्रोटॉन इस चुंबकीय क्षेत्र में गति करते हैं। इलेक्ट्रॉन तथा प्रोटॉन द्वारा अनुभव बलों की दिशाएँ क्या हैं?

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    2. परिनालिका के भीतर उत्पन्न प्रबल चुंबकीय क्षेत्र का उपयोग चुंबकीय पदार्थ जैसे नर्म लोहे के टुकड़ों को, परिनालिका के भीतर रखकर, चुंबकित करने में किया जा सकता है।
    3. परिनालिका से संबद्ध चुंबकीय क्षेत्र का पैटर्न छड़ चुंबक के चारों ओर के चुंबकीय क्षेत्र के पैटर्न से भिन्न होता है।
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    यदि चित्र की व्यवस्था में प्लग से कुंजी निकाल कर (परिपथ को खोल कर) क्षैतिज तल ABCD पर चुंबकीय क्षेत्र रेखाएँ खींचें तो ये रेखाएँ होती हैं:

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    कागज़ के तल के लंबवत् तल में रखे वृत्ताकार पाश में कुंजी को बंद करने पर धारा प्रवाहित होती है। बिंदु A तथा B (जो कागज़ के तल में तथा पाश के अक्ष पर हैं) से देखने पर पाश में प्रवाहित धारा क्रमशः वामावर्त तथा दक्षिणावर्त है। चुंबकीय क्षेत्र रेखाएँ B से A की ओर संकेत करती हैं परिणामी चुंबक का उत्तर ध्रुव उस फलक पर होगा जो निकट है

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    चित्र में दर्शाए अनुसार कागज के तल में स्थित किसी क्षैतिज तार में पूर्व से पश्चिम की ओर कोई नियत धारा प्रवाहित हो रही है। चुम्बकीय क्षेत्र की दिशा उत्तर से दक्षिण की ओर उस बिन्दु पर होगी जो-

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