किसी पदार्थ की वैद्युत प्रतिरोधकता से क्या तात्पर्य है? इसका क्या मात्रक है? किसी चालक तार के प्रतिरोध को प्रभावित करने वाले कारकों का अध्ययन करने के लिए किसी प्रयोग का वर्णन कीजिए।
examplar-31
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$1$ मीटर भुजा वाले घन के विपरीत फलकों में से धारा गुजरने पर उत्पन्न प्रतिरोध, प्रतिरोधकता कहलाती है। इसका मात्रक ओम$-$मीटर है।
$R = \rho \frac{l}{A}$
$\rho=\frac{\mathrm{RA}}{l}$
$[$जहाँ, $A = 2 m^2 l = 1 m]$
माना कि किसी विद्युत परिपथ में एक सेल, एक अमीटर $L$ लम्बाई का नाइक्रोम का एक तार, एक प्लग$-$कुंजी चित्रानसार सम्मिलित है।

अब प्लग में कुंजी लगाइए। ऐमीटर में विद्युत धारा नोट कीजिए। इस नाइक्रोम के तार को अन्य नाइक्रोम तार से प्रतिस्थापित कीजिए, जिसकी मोटाई समान परन्तु लम्बाई दोगुनी हो, अर्थात् $2l$ लम्बाई का तार लीजिए जिसे चित्र में $(2)$ से चिन्हित किया गया है। ऐमीटर का पाठ्यांक नोट कीजिए। अब इस तार को समान लम्बाई l के नाइक्रोम के मोटे तार $[(3)$ से चिन्हित] से प्रतिस्थपित कीजिए। मोटे तार की अनुप्रस्थ काट का क्षेत्रफल अधिक होता है। परिपथ में प्रवाहित धारा पुनः नोट कीजिए। नाइक्रोम तार के स्थान पर तांबे का तार $[$चित्र में चिन्हित $(4)]$ को परिपथ में जोड़िए। मान लीजिए कि यह तार नाइक्रोम के तार जिस पर $(1)$ चिन्हित है, के बराबर लम्बा तथा समान अनुप्रस्थ काट के क्षेत्रफल का है। विद्युत धारा का मान नोट कीजिए। प्रत्येक प्रकरण में विद्युत धारा के मानों में अन्तर को ध्यान से देखिए।
जब तार की लम्बाई दोगुनी कर देते हैं तो ऐमीटर का पाठ्यांक आधा हो जाता है अर्थात् तार में धारा आधी हो जाती है। परिपथ में समान पदार्थ तथा समान लम्बाई का मोटा तार जोड़ने पर ऐमीटर का पाठ्यांक बढ़ जाता है। ऐमीटर के पाठ्यांक में तब भी अन्तर आता है जब परिपथ में भिन्न पदार्थ परन्तु समान लम्बाई तथा समान अनुप्रस्थ काट के क्षेत्रफल के तार को जोड़ते हैं। ओम के नियम को अनुप्रयोग करने पर हम यह पाते हैं कि किसी चालक का प्रतिरोध $(अ)$ चालक की लम्बाई, $(ब)$ उसकी अनुप्रस्थ काट के क्षेत्रफल तथा $(स)$ उसके पदार्थ के प्रकृति पर निर्भर करता है। परिशुद्ध माप दर्शाते हैं कि किसी धातु के एकसमान चालक का प्रतिरोध उसकी लम्बाई $(l)$ के अनुक्रमानुपाती तथा इसके अनुप्रस्थ काट के क्षेत्रफल $(A)$ के व्युत्क्रमानुपाती होती है। अर्थात्
$R \propto 1 ...(i)$
तथा$ \mathrm{R} \propto \frac{l}{\mathrm{~A}} ...(ii)$
समी. $(i)$ तथा $(ii)$ को संयोजित करने पर
$\mathrm{R} \propto \frac{l}{\mathrm{~A}}$
अथवा $R = \rho \frac{l}{\mathrm{~A}}$
art

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