ओम का नियम- समान तापमान पर, किसी चालक में प्रवाहित धारा उसके सिरों के बीच उत्पन्न विभवान्तर के समानुपाती होती है।
ओम के नियम के सत्यापन के लिए क्रियाकलाप-
- कुंजी को बन्द कीजिए जिससे परिपथ में धारा प्रवाहित हो सके।

- R प्रतिरोध के चालक PQ के सिरों के बीच विभवान्तर वोल्टमीटर के पाठ्यांक द्वारा नोट कीजिए तथा धारा (I) का मान अमीटर से ज्ञात कीजिए।
- अब धारा नियंत्रक द्वारा धारा का मान बढ़ाइए।
- पुन: R प्रतिरोध के सिरों के बीच विभवान्तर (V) वोल्टमीटर द्वारा नोट कीजिए तथा धारा (I) का मान अमीटर ज्ञात कीजिए।
- इस प्रयोग को धारा नियन्त्रक द्वारा धारा का मान बढ़ाकर 5 बार दोहराइए।
V तथा I के मान क्रमशः X-अक्ष तथा Y-अक्ष पर लेकर V तथा I के मध्य ग्राफ बनाइए। इस ग्राफ पर मूल बिन्दु से गुजरती हुए एक सीधी (सरल) रेखा प्राप्त होती है।

निष्कर्ष- V तथा I के मध्य ग्राफ द्वारा हम निष्कर्ष निकालते हैं कि V = I जो ओम का नियम है। अतः ओम का नियम प्रयोग द्वारा सत्यापित हो जाता है। ओम का नियम सभी दशाओं में लागू नहीं होता है। यह 1½-ओमी पदार्थों जैसे विद्युत अपघट्यों के लिए लागू नहीं होता है।