(1) यद्यपि इनमें से कई संगठन देश के विशिष्ट भागों में ही काम करते थे, परन्तु वे अपने लक्ष्य को भारत के सभी लोगों का लक्ष्य बताते थे।
(2) वे मानते थे कि लोगों को सम्प्रभु होना चाहिए अर्थात् भारत के लोगों को अपने मामले में निर्णय लेने की आजादी होनी चाहिए।