(1) वह आन्दोलन जो बंगाल विभाजन के बाद शुरू हुआ, उसे स्वदेशी आन्दोलन कहा जाने लगा।
(2) इस आन्दोलन के मुख्य उद्देश्य थे- ब्रिटिश शासन का विरोध करना और स्वदेशी उद्यम, राष्ट्रीय शिक्षा, भारतीय भाषाओं के प्रयोग एवं स्वयं सहायता के विचारों को प्रोत्साहन देना। स्वराज के लिए संघर्ष हेतु आमूल परिवर्तनवादियों ने जनता को लामबंद करने और ब्रिटिश संस्थाओं एवं वस्तुओं के बहिष्कार पर जोर दिया।