आज दिखाने के लिये तो सामंती व्यवस्था हमारे समाज में नहीं है, लेकिन मध्यकालीन सामंती व्यवस्था से भी अधिक कर सामंतों-सा राजनीतिक बाहुबलियों का उदय हो गया है । ये कुछ न होकर सबकुछ है । सभी बाहुबली किसी-न-किसी राजनीतिक दल के किसी दबंग नेता से जुड़ा है। कुछ बाहुबली तो खास-खास राजनीतिक दलों के किसी-न-किसी पद पर आसीन होकर अपने ओहदे का धौंस दिखाकर जनता का भय दोहन करते हैं।