क्या हर व्यक्ति अदालत की शरण में जा सकता है?
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सिद्धान्ततः भारत के सभी नागरिक देश के न्यायालयों की शरण में जा सकते हैं अर्थात् प्रत्येक नागरिक को अदालत के माध्यम से न्याय माँगने का अधिकार है। अदालत की सेवाएँ सभी के लिए उपलब्ध हैं। लेकिन व्यवहार में गरीबों के लिए अदालत में जाना काफी मुश्किल साबित होता है। कानूनी प्रक्रिया में न केवल काफी पैसा और कागजी कार्यवाही की जरूरत पड़ती है, बल्कि उसमें समय भी बहुत लगता है। गरीब आदमी पढ़ना-लिखना नहीं जानता और न उसके पास अदालत जाने व इन्साफ पाने के लिए समय होता है। इसलिए उसे अदालत की शरण में जाने में मुश्किल होती है।
गरीबों की इस स्थिति को समझते हुए 1980 के दशक से सर्वोच्च न्यायालय ने 'जनहित याचिका' की व्यवस्था के द्वारा उसके लिए न्यायालय में जाने को सुगम बना दिया है।
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