पृथ्वी पर कुल उपलब्ध जल का केवल 1% ही पीने योग्य (ताजा जल) है जिसे मनुष्य द्वारा उपयोग किया जा सकता है। शेष जल उपयोग के लायक नहीं हैं क्योंकि या तो वह खारा है या फिर ध्रुवों पर स्थायी रूप से जमी हुई बर्फ के रूप में है। उपभोग के लिए उपलब्ध ताजा जल मनुष्य की आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए पर्याप्त है। यद्यपि, इसके असमान वितरण के कारण, वर्षा के कम या अधिक होने के कारण तथा अधिक मात्रा में व्यर्थ किए जाने के कारण, संसार के अनेक भाग निरन्तर पानी की कमी का सामना कर रहे हैं। जबकि जल, जल-चक्र द्वारा निरन्तर पुनःचक्रित होता रहता है। फिर भी लोगों द्वारा पानी के तीव्रता से प्रयोग करने के कारण पानी की कमी निरन्तर बढ़ती जा रही है। अतः हमारे द्वारा जल का न्यायसंगत प्रयोग करके उसका संरक्षण करना अत्यन्त आवश्यक है।