क्या किसी बिन्दु पर वैधुत क्षेत्र शून्य हो सकता है, जबकि उसी बिन्दु पर वैधुत विभव शून्य न हो। उदाहरण दीजिए।
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हाँ, (i) दो समान परिमाण तथा समान प्रकृति के आवेशों को मिलाने वाली रेखा के मध्य बिन्दु पर वैधुत क्षेत्र शून्य होता है, वैधुत विभव नहीं। (ii) आवेशित गोलीय कोश के अन्दर वैधुत क्षेत्र शून्य होता है, वैधुत विभव नहीं।
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एक वर्ग की प्रत्येक भुजा 90 सेमी. लम्बी है। इसके कोने पर क्रमशः - 2, +3, -4 तथा +5 माइक्रो कूलॉम आवेश रखे हैं। वर्ग के केन्द्र पर विधुत विभव ज्ञात कीजिये।
दो विभिन्न धारिताओं के संधारित्रों को पहले (1) श्रेणी में और फिर (2) पार्श्व में किसी 100 V के de स्रोत से संयोजित किया गया है। यदि इन दोनों प्रकरणों में संयोजनों में संधित कुल ऊर्जा क्रमशः 40 mJ और 250 mJ है, तो इन संधारित्रों की धारिताएँ ज्ञात कीजिए।
तीन सर्वसम (एक-जैसे) संधारित्रों को श्रेणीक्रम में संयोजित करने (जोड़ने) पर उनकी तुल्य (कुल) धारिता 1 µF है। यदि उन्हें पार्श्वक्रम (समान्तर क्रम) में संयोजित किया (जोड़ा) जाये, तो उनकी कुल धारिता कितनी होगी? यदि दोनों दशाओं (संयोजनों) में संधारित्रों को एक ही स्रोत से जोड़ा जाये तो इन दो प्रकार के संयोजनों में संचित ऊर्जा का अनुपात ज्ञात कीजिए।
4 सेमी. व 7 सेमी. के दो चालक गोलों पर आवेश की मात्राएँ क्रमशः 500 माइक्रो फूलॉम और 60 माइक्रो कूलॉम हैं। चालकों को पररपर जोड़ने पर विधुत स्थितिज ऊर्जा हानि की गणना कीजिए।