हाँ, लोकतांत्रिक व्यवस्था में आर्थिक संवृद्धि और लोगों के बीच असमानता का बढ़ना साथ-साथ होता है। लोकतांत्रिक व्यवस्था में भी मुट्ठीभर धन-कुबेर आय और सम्पत्ति में अपने अनुपात से बहुत ज्यादा हिस्सा पाते हैं। इतना ही नहीं, देश की कुल आय में उनका हिस्सा भी बढ़ता गया है। समाज के सबसे निचले हिस्से के लोगों को जीवन बसर करने के लिए काफी कम साधन मिलते हैं। उनकी आय गिरती गयी है। कई बार उन्हें अपनी आवश्यक आवश्यकताएँ पूरा करने में मुश्किल आती है।