लड़के एवं लड़कियों के पहनावे और खिलौने में फर्क समाज के लोगों की सोच के कारण है। समाज ही लड़के और लड़कियों में अंतर करता है। समाज के द्वारा ही यह तय किया जाता है लड़कियों और लड़कों के कपड़े और खिलौने कैसे होंगे। बचपन से लडके और लड़कियों के खिलौनों में भी फर्क किया जाता है जैसे-लड़के को खेलने के लिए कारें दी जाती है और लड़कियों की गुड़िया।
इन खिलौनों के माध्यम से यह दर्शाने के कोशिश की जाती है कि जब वे बड़े होकर स्त्री या पुरुष होंगे तो उनके जीने का तरीका अलग-अलग होगा। बचपन से इस तरह की बातों को देखते हए उन्हें ऐसा लगने लगता है कि स्वी व पुरुष की भूमिकाओं को निभाना उनका प्राकृतिक गुण है और उन्हें जीवन भी उसी आधार पर जीना चाहिए।