पीछे दिए गए उदाहरणों के आधार पर मैं “जावेद और शबाना’ की तरह बड़ा होना चाहूँगी।
‘जावेद और शबाना’ के घर का माहौल बहुत ही खला है। वहाँ बच्चों – को घर के कार्य करने के साथ-साथ पढ़ने-लिखने का छूट भी दिया गया है।
वे लोग पढ़ाई के साथ-साथ अपनी माँ का घर के कामों में हाथ बँटाते हैं। उन लोगों का सपना है कि बड़े होकर वे लोग देश की तरफ से क्रिकेट खेलें।
उनके माता-पिता भी उनके इस सपने को पूरा करने में उनका सहयोग करते हैं। ऐसा नहीं है कि उनके घर में बेटा होने के कारण जावेद को पढ़ने काहक है और शबाना बेटी है इसलिए उसकी पढ़ाई बंद करवाकर उसे घर का काम करने को कहा जाए। उनके घर में बेटे और बेटियों के समान रूप से व्यवहार किया जाता है और दोनों के सपनों की कद्र की जाती है।