लोकतांत्रिक शासन व्यवस्था की सबसे बड़ी विशेषता यह होती है कि इसमें अपनी कमजोरियों को सुधारने की क्षमता है। लोकतांत्रिक शासन व्यवस्था की कमजोरियों को दूर करने के उपाय निम्नलिखित हैं- शिक्षा का प्रसार शिक्षा का प्रमार कर लोकतंत्र के कमजोरियों को दूर किया जा सकता है। लोकतंत्र के विकास में मार्ग में अशिक्षा सबसे बड़ी बाधा है। इसलिए शिक्षा का प्रसार किया जा रहा है। भारत सरकार द्वारा 1986 में ही नई शिक्षा नीति की घोषणा कर शिक्षा के क्षेत्र में सुधार लाया जा रहा है।
ii. बेरोजगारों को रोजगार – बेरोजगारी की समस्या भी लोकतंत्र की एक कमजोरी है। अब बेरोजगारी दूर करने के काफी प्रयास किए जा रहे हैं। लघु एवं कुटीर उद्योगों के विकास पर जोर दिया जा रहा है। पंचवर्षीय योजनाओं में बेरोजगारी की समस्या के समाधान पर विशेष ध्यान दिया जा रहा है।
iii. पंचायती राज-सतत जागरूकता ही लोकतंत्र को सफलता के मार्ग पर ले जा सकती ‘ है। पंचायती राज की स्थापना इसी उद्देश्य से की गई है। ग्राम पंचायतें लोकतंत्र के मुख्य आधार है। ग्राम पंचायतों के कामों में भाग लेने से सामान्य लोगों में भी लोकतंत्र के प्रति दिलचस्पी बढ़ी है।
iv. सुधारात्मक कानूनों का निर्माण- लोकतंत्रात्मक सुधार में सुधारात्मक कानूनों के निर्माण की भूमिका महत्वपूर्ण मानी जाती है। सरकार कानून बनाते समय इस बात पर विशेष ध्यान रखती है कि राजनीति पर इसका प्रतिकूल प्रभाव नहीं पड़े तथा वैसे कानूनों का निर्माण हो जिससे जनता के स्वतंत्रता के अधिकार में वृद्धि हो।
v. आंदोलन हित समूहों और मीडिया की स्वतंत्रता- लोकतांत्रिक सुधार के लिए। लोकतांत्रिक आंदोलनों और संघर्षों, विभिन्न हित समूहों और मीडिया की स्वतंत्रता अवश्य सुनिश्चित की जानी चाहिए।
vi. निष्पक्ष निर्वाचन पद्धति- देश में निष्पक्ष चुनाव संपन्न कराने के लिए एक निष्पक्ष निर्वाचन आयोग का गठन किया गया है। निष्पक्ष चुनाव पर ही लोकतंत्र का भविष्य निर्भर है। भारत सहित अन्य लोकतांत्रिक देश इन्हीं उपायों से अपनी कमजोरियों को दूर कर सकते हैं लोकतंत्र की चुनौतियों का सामना कर सकते हैं।