लोकतंत्र के विभिन्न पहलुओं को हम निम्नांकित शीर्षकों के अंतर्गत रख सकते हैं-
लोकतंत्र जनता का शासन है। यह शासन का वह स्वरूप है जिसमें जनता को ही शासकों के चयन का अधिकार प्राप्त है।
जनता द्वारा चुने गए प्रतिनिधियों को ही लोकतांत्रिक शासन-व्यवस्था के लिए निर्णय लेने का अधिकार है।
निर्वाचन के माध्यम से जनता को शासकों को बदलने तथा अपनी पसंद व्यक्त करने का बिना किसी भेदभाव के पर्याप्त अवसर और विकल्प प्राप्त होना चाहिए।
विकल्प के प्रयोग के बाद जिस सरकार का गठन किया जाए उसे संविधान में निश्चित किए गए मौलिक नियमों के अनुरूप कार्य करना चाहिए। साथ ही नागरिकों के मौलिक अधिकारों की रक्षा का भी ध्यान रखा जाना चाहिए।
नागरिकों को मताधिकार निर्वाचन में खड़े होने का अधिकार जैसे राजनीतिक अधिकार के अलावा कुछ आर्थिक अधिकार भी दिए जाने चाहिए। जीविका का साधन प्राप्त करने, काम पाने का अधिकार, उचित पारिश्रमिक पाने का अधिकार जैसे आर्थिक अधिकार जब तक नागरिकों को नहीं मिलेंगे तबतक राजनीतिक अधिकार निरर्थक सिद्ध होंगे।
सत्ता में भागीदारी का अवसर सबों को बिना भेदभाव के मिलना चाहिए। सत्ता में जितना अधिक भागीदारी बढ़ेगी, लोकतंत्र उतना ही सशक्त बनेगा।
लोकतंत्र को बहुमत की तानाशाही से दूर रखा जाना चाहिए। अल्पसंख्यकों के हितों पर ध्यान देना आज को लोकतंत्र की पुकार है।
लोकतंत्र को सामाजिक भेदभाव से भी दूर रखा जाना चाहिए। इसको जातिवाद, संप्रदायवाद, क्षेत्रवाद, धर्मवाद जैस भयंकर रोगों से मुक्त किया जाना चाहिए।
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