मानव वृक्कों द्वारा उत्सर्जन के संदर्भ में निम्नलिखित में से कौन सा एक कथन सही है?
[2010]
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(c) मूत्र बनने में मुख्य रूप से तीन प्रक्रियायें-ग्लोमेरुलर निस्यंदन, पुन: अवशोषण एवं स्रवण शामिल होते हैं। प्रति दिन बनने वाले निस्यंद के आयतन (180 लीटर प्रति दिन) की उत्सर्जित मूत्र (1.5 लीटर) से तुलना की जाए तो यह समझा जा सकता है कि 99 प्रतिशत निस्यंद को वृक्क नलिकाओं द्वारा पुन: अवशोषित किया जाता है जिसे पुनः अवशोषण कहते हैं। हेनले-लूप की अवरोही भुजा जल के लिए पारगम्य होती है, परंतु वैद्युत अपघट्य के लिए लगभग अपारगम्य होती है। आरोही भुजा जल के लिए अपारगम्य होती है, लेकिन वैद्युत अपघट्य के लिए पारगम्य होती है। दूरस्थ संवलित नलिका में सोडियम आयन तथा जल का अवशोषण होता है। साथ ही, यह $HCO _3^{-}$के पुन: अवशोषण के लिए भी सक्षम होता है।
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