मध्यकाल के ऐतिहासिक स्रोत जैसे अभिलेख पत्थरों, चट्टानों, ताम्रपत्रों, पाण्डुलिपियों की मदद से कुछ खास लोगों, विशेषतः शासकों के बारे में कुछ ही जानकारियाँ मिलती हैं। पर आधुनिक काल में ऐतिहासिक स्रोतों की संख्या अधिक व व्यापक जानकारी वाले और अधिक प्रमाणिक हो गये । आधुनिक युग में इन स्रोतों की संख्या और विविधता में और भी वृद्धि
एक स्पष्ट उदाहरण से इसे समझा जा सकता है। मध्यकाल में हाथ से पाण्डुलिपियां बनती थी जिनकी संख्या बेहद सीमित होती थी। पर आधुनिक युग में छापेखाने (प्रेस) के आविष्कार से सरकारी विभाग की कार्रवाइयों तक के दस्तावेज की कई प्रतियां बनना संभव हो गया । इन महत्त्वपूर्ण दस्तावेजों की प्रतियाँ को अभिलेखागारों एवं पुस्तकालयों में देखा जा सकता है। अब ये भी बड़े महत्त्वपूर्ण ऐतिहासिक स्रोत साबित हो रहे हैं।