महमूद गजनवी अपनी विजय अभियानों में ही लूट अभियानों को अपनाया । उसने जब भी आक्रमण किया तो मंदिरों के साथ बड़े-बड़े नगरों को लूटा । उसने कभी भी भारत में अपने स्थायी शासन की बात नहीं सोची । इन लूट अभियानों में सदैव सफल होते रहने का एकमात्र कारण था कि यहाँ के राजाओं-शासकों में मेल नहीं था । राजपूत यद्यपि शक्तिशाली थे लेकिन उन्होंने आपस में ही लड़ते रहने को अपनी शान समझी । एक राज्य लूटता रहता तो अन्य सभी देखते रहते और अन्दर ही अन्दर प्रसन्न भी होते रहते । उनको इतनी समझ नहीं थी कि यह स्थिति कभी उन पर भी आ सकती है।
और यही हुआ और इसी से महमूद गजनवी अपने अभियानों में सफल होता रहा ।