अच्छे किस्म के कपड़े की माँग केवल उच्च वर्ग के लोगों में ही थी। उसमें उतार-चढ़ाव भी कम आते थे। फसलें खराब होने अथवा अकालों से बनारसी अथवा बालूचरी साड़ियों की बिक्री पर प्रभाव नहीं पड़ता था। इसके अतिरिक्त कारखाने विशेष प्रकार की बुनाई की नकल नहीं कर सकते थे।