(d) सभी आन्त्रीय अंगों की गतिविधियों का समन्वयन उनकी पेशियों व ग्रन्थियों का नियमन करके किया जाता है और यह कार्य अनुकम्पी व परानुकम्पी तन्त्रिका तंत्र के तन्त्रिका तन्तुओं द्वारा किया जाता है। यह मिलकर स्वायत्त तन्त्रिका तन्त्र बनाते हैं जो ऐसे कार्य को करते हैं, जिन पर हमारी इच्छा का कोई नियन्त्रण नहीं होता।