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कुछ विशिष्ट परिस्थितियों में, एक नाभिक$ \alpha$-कण से अधिक द्रव्यमान वाला एक कण उत्सर्जित करके क्षयित होता है। निम्नलिखित क्षय-प्रक्रियाओं पर विचार कीजिए: ${ }_{88}^{223} \mathrm{Ra} $$\rightarrow$${82}^{209} \mathrm{~Pb}+{ }_{6}^{14} \mathrm{C}$ $ { }_{88}^{223} \mathrm{Ra} $$\rightarrow{ }$$_{86}^{219} \mathrm{Rn}$ + ${ }_{2}^{4} \mathrm{He}$ इन दोनों क्षय प्रक्रियाओं के लिए Q-मान की गणना कीजिए और दर्शाइए कि दोनों प्रक्रियाएँ ऊर्जा की दृष्टि से संभव हैं।
एक परमाणु द्रव्यमान मात्रक के समतुल्य ऊर्जा का मान पहले जूल और फिर MeV में ज्ञात कीजिए। इसका उपयोग करके $ { }_{8}^{16} \mathrm{O}$ की द्रव्यमान क्षति $\mathrm{MeV} / \mathrm{c}^{2}$ में व्यक्त कीजिए।
क्षयित हो रहे ${ }_{92}^{238} \mathrm{U}$की, $\alpha$-क्षय के लिए अर्ध-आयु 4.5 $\times 10^{9}$ वर्ष है।$ { }_{92}^{238} \mathrm{U}$ के $1 \mathrm{~g}$ नमूने की ऐक्टिवता क्या है?
दो ड्यूट्रॉनों के आमने-सामने की टक्कर के लिए कूलॉम अवरोध की ऊँचाई ज्ञात कीजिए। (संकेत-कूलॉम अवरोध की ऊँचाई का मान इन ड्यूट्रॉन के बीच लगने वाले उस कूलॉम प्रतिकर्षण बल के बराबर होता है जो एक-दूसरे को संपर्क में रखे जाने पर उनके बीच आरोपित होता है। यह मान सकते हैं कि ड्यूट्रॉन 2.0 fm प्रभावी त्रिज्या वाले दृढ़ गोले हैं।)
एक दिए गए सिक्के का द्रव्यमान 3.0 g है। उस ऊर्जा की गणना कीजिए जो इस सिक्के के सभी न्यूटॉनों एवं प्रोटॉनों को एक-दूसरे से अलग करने के लिए आवश्यक हो। सरलता के लिए मान लीजिए कि सिक्का पूर्णत : ${ }_{29}^{63} \mathrm{Cu}$ परमाणुओं का बना है $\left({ }_{29}^{63} \mathrm{Cu}\right.$ का द्रव्यमान = 62.92960 u)
यदि प्रोटॉनों और न्यूट्रॉनों की संख्या, प्रत्येक नाभिकीय अभिक्रिया में संरक्षित रहती है, किसी नाभिकीय अभिक्रिया में किस प्रकार द्रव्यमान, ऊर्जा में (या इसका उलटा) बदलता है?