(b) ऐसे अंग, जो मूल रचना और भ्रूणीय परिवर्धन में भिन्नता दर्शातें हैं लेकिन समान कार्य करने के कारण, समान प्रतीत होते हैं, समरूपी या समवृत्ति अंग कहलाते हैं। पक्षियों (कबूतर) में अगली टांगों और उन पर लगे पिच्दों से पंख बनते हैं जबकि चमगादड़ के पंख अग्रपादों की चार लम्बी अंगुलियों तथा धड़ के बीच फैली हुई त्वचा से बनते हैं। अतः ये समरूप अंगों का उदाहरण है।