गह तय करना ही पहले तो संभव नहीं होता कि निर्धन कौन है और गैर निर्धन कौन । कई बार तो समर्थ लोग भी निर्धन का कार्ड हासिल कर लेते हैं। वैसे दोनों श्रेणी के लिए अलग-अलग चीजों का अलग-अलग मूल्य रखने में कोई व्यावहारिक कठिनाई नहीं आनी चाहिए । इच्छा शक्ति और धैर्य होदुकानदारों में तो सब संभव हो सकता है।