(a) डार्विन के अनुसार विभिन्नताओं के सतत् संचयन से नयी जातियों की उत्पत्ति होती है। यकायक उत्परिवर्तनों से नयी जातियों का विकास नहीं होता। पादप भिन्न आवासों में सतह अनुकूलनों द्वारा उत्पन्न होते हैं न कि अचानक। पादप जगत में बीजयुक्त पादप केवल एक वर्ग है।