पादप में जल और खनिज लवण का वहन जाइलम ऊतक के द्वारा होता है। जड़ें मृदा के अंदर होती है तथा आयनों का आदान-प्रदान करती हैं। यह जड़ और मृदा के आयनों की सांद्रता में एक अंतर उत्पन्न करती हैं। इस अंतर को समाप्त करने के लिए जल गति करते हुए जड़ के जाइलम में जाता है और जल के स्तंभ का निमार्ण करता है, जो लगातार ऊपर की ओर धकेला जाता है। यह दाब जल को ऊपर की तरफ पहुँचा नहीं सकता है। पत्तियों के द्वारा वाष्पोत्सर्जन क्रिया द्वारा जल की हानि होती है, जो जल को जड़ों में उपस्थित कोशिकाओं द्वारा खींचता है। अतः वाष्पोत्सर्जन कर्षण जल की गति के लिए महत्वपूर्ण बल होता है। इस तरह पादपों में जल के साथ-साथ खनिज लवणों का वहन जड़ों से पत्तियों तक जाइलेम द्वारा संभव हो पाता है।