भूमि का उपयोग- भूमि एक महत्त्वपूर्ण प्राकृतिक संसाधन है। विश्व के कुल भूपृष्ठ के कुल क्षेत्रफल के लगभग 30 प्रतिशत भाग पर भूमि है। भूमि का उपयोग विभिन्न कार्यों में किया जाता है; जैसे- कृषि करना, वानिकी, आवास निर्माण, सड़क निर्माण, खनन, उद्योगों की स्थापना आदि। भूमि का उपयोग मुख्य रूप से स्थलाकृति, मृदा, जलवायु, खनिज, जल उपलब्धता, जनसंख्या, प्रौद्योगिकी आदि तत्त्वों पर निर्भर करता है। विश्व में भूमि का उपयोग निजी भूमि एवं सामुदायिक भूमि दोनों के रूप में किया जाता है।
भूमि के संरक्षण की आवश्यकता- भूमि की उपलब्धता सीमित है, इसे बढ़ाया नहीं जा सकता है। जबकि विश्व की जनसंख्या में निरन्तर वृद्धि होती जा रही है। इस कारण लोग आवास एवं कृषि हेतु वनों को नष्ट करते जा रहे हैं जिससे पारितंत्र में असन्तुलन उत्पन्न हो रहा है। नगरीकरण एवं बढ़ते उद्योगों के कारण सामुदायिक भूमि पर अनधिकृत हस्तक्षेप निरन्तर बढ़ता जा रहा है। वर्तमान में कृषि और निर्माण सम्बन्धी गतिविधियों के प्रसार के कारण निम्नीकरण, भूस्खलन, मृदा अपरदन, मरुस्थलीकरण पर्यावरण के लिए खतरा बन गए हैं। इन सभी कारणों से भूमि का संरक्षण आवश्यक है।
भूमि संरक्षण के तरीके- बढ़ती जनसंख्या एवं बढ़ती भूमि के कारण विभिन्न प्राकृतिक संसाधनों के विनाश का खतरा उत्पन्न हो गया है, अतः इसे रोकना आवश्यक है। वनरोपण, भूमि उद्धार, रासायनिक कीटनाशकों और उर्वरकों के विनियमित उपयोग तथा अतिचारण पर रोक आदि भूमि संरक्षण के लिए अपनाए जाने वाले सामान्य तरीके हैं।