प्रकाश-संश्लेषण के लिए पत्ती में कौन-कौन से अनुकूलन पाए जाते हैं?
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प्रकाश संश्लेषण के लिए पत्ती में निम्नलिखित अनुकूलन हैं:
सतही क्षेत्रफल- पत्तियाँ पतली तथा चपटी होती हैं। अतः गैसों के विनिमय और अधिकाधिक प्रकाश के अवशोषण के लिए अधिक सतही क्षेत्रफल प्रदान करती है।
स्थिति- पत्ती डंठल द्वारा बाहर की ओर कुछ इस प्रकार स्थित होती हैं कि वे शुद्ध वायु तथा उचित सूर्य के प्रकाश के साथ सम्पर्क में आ सकें। वे प्रकाश स्रोत के साथ समकोण पर व्यवस्थित होती है।
वाहिकाएँ तथा वाहिनिकाएँ- पत्तियों की वाहिकाएँ तथा वाहिनिकाएँ आपस में जुड़कर जल सवंहन वाहिकाओं का एक सतत् जाल बनाती है जो पत्तियों की मीसोफिल कोशिकाओं से तथा पादप के विभिन्न अंगों की ओर पदार्थों का तीव्रता से संवहन करने में समर्थ होता है। पत्ती के मध्य में स्थित सबसे बड़ी वाहिका (शिरा) अर्थात् मध्यशिरा तथा अन्य छोटी-छोटी वाहिनिकाएँ पत्ती के उच्चतम बिन्दु तक संवहन में सहायता करती हैं। इस प्रकार वे गैसीय विनिमय तथा पोषक तत्वों की आपूर्ति में सहायता करती है।
क्लोरोफिल- यह प्रकाश संश्लेषण में सहायक एक वर्णी लवक है जो आवश्यक प्रकाश ऊर्जा के अवशोषण में सहायता करता है।
पत्तियों की सतह पर गैसीय विनिमय तथा वाष्पोत्सर्जन के लिए असंख्य छोटे-छोटे पर्णरन्ध्र (स्टोमेटा) की उपस्थित होते हैं।
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