पटना के समीप के एक गांव में मनरेगा कार्यक्रम के तहत मिट्टी कटाई का काम किया जा रहा था और इस कार्य के लिए मजदूरों की जगह बड़ी मशीनों का प्रयोग किया जा रहा था। जबकि इस कार्यक्रम में लोगों को रोजगार देने पर अधिक बल दिया जाता है और इसमें मशीनों का इस्तेमाल वर्जित है। इसमें मशीनों की जगह गाँव में रहने वाले लोगों को कम से कम 100 दिनों के रोजगार की गारंटी दी गई है। पर यहाँ पर इन नियमों की अवहेलना हो रही थी।
मीडिया कर्मियों द्वारा इस खबर को अखबारों एवं न्यूज चैनलों पर प्रमुखता के साथ प्रसारित किया गया, जिससे इस खबर की. जानकारी आम लोगों के साथ ही उच्च अधिकारियों को हुई और गाँव पहुँच उनलोगों ने तुरंत मशीनों से किए जा रहे काम को बंद करने का आदेश दिया। फिर इस मामले की जाँच कराई गई जिससे यह पता चला कि मजदूरों की जाली उपस्थिति दर्ज करके आवंटित राशि आपस में बाँट ली जाती है। जाँच अधिकारियों द्वारा लोगों के खिलाफ कार्यवाई की गई और मजदूरों को उनका हक दिलवाया गया।