वृषण कोष का तापमान उदरगुहा से लगभग 2 से 2.5°C कम होता है जो कि शुक्रजनन के लिए आवश्यक है। यदि वृषण उदरगुहा में हो तो अधिक तापमान के कारण शुक्रजनन की क्रिया प्रभावित होगी। अतः वृषणों का तापमान शरीर के तापमान से कम बनाये रखने के लिए वृषण उदरगुहा से बाहर वृषणकोष में स्थित होते हैं जिससे कि शुक्राणुओं के निर्माण व परिपक्वन में किसी प्रकार की बाधा न पहुँचे।