जहाँ अन्य भागों का जनजातीय विद्रोह सशस्त्र विद्रोह था, जिसमें अंग्रेजों एवं गैर आदिवासिय लोगों को हिंसा का निशाना बनाया जाता था वहीं उत्तर पूर्व भारत का जनजातीय विद्रोह गैर आदिवासियों को अपने भू-भाग से बाहर खदेड़ने का एक राजनैतिक कार्यक्रम था। खास बात यह थी कि इनका आन्दोलन आगे चलकर गाँधीजी द्वारा चलाए गए सविनय अवज्ञा आन्दोलन के साथ जुड़ गया।