राजनीति और सामाजिक विभाजनों का मेल नहीं होना चाहिए क्योंकि यह बहुत खतरनाक तथा विस्फोटक लगता है। लोकतन्त्र में अनेक राजनीतिक दल होते हैं जिनके बीच प्रतिद्वन्द्विता रहती है। इस प्रतिद्वन्द्विता के कारण कोई भी समाज विभाजित हो सकता है। सामाजिक विभाजन से राजनीतिक विभाजन उत्पन्न होता है जो संघर्ष, हिंसा और अन्ततः देश के विभाजन में बदल सकता है। उदाहरणार्थ, उत्तरी आयरलैंड में कैथोलिक समुदाय का नेतृत्व कर रही नेशनलिस्ट पार्टी ने माँग की कि उत्तरी आयरलैंड को आयरलैंड गणराज्य के साथ मिला दिया जाए जबकि प्रोटेस्टेंट समुदाय इंग्लैण्ड की यूनियनिस्ट पार्टी के साथ रहा क्योंकि ब्रिटेन मुख्य रूप से प्रोटेस्टेंट देश है।
यूनियनिस्टों व नेशनलिस्टों के बीच चलने वाले हिंसक टकराव में ब्रिटेन के सुरक्षा बलों सहित सैकड़ों लोग मारे जा चुके हैं। 1998 ई. में ब्रिटेन की सरकार और नेशनलिस्टों के मध्य शान्ति समझौता शुरू हुआ, जिसमें दोनों पक्षों ने हिंसक आन्दोलन बन्द करने की बात स्वीकार की। इस प्रकार अन्त में आयरलैंड में तो ठीक रहा लेकिन यूगोस्लोविया में परिणाम उलट रहे। वहाँ धार्मिक व जातीय विभाजन के आधार पर शुरू हुई राजनीतिक होड़ में यूगोस्लाविया कई टुकड़ों में बँट गया।
इस प्रकार यह निष्कर्ष निकलता है कि राजनीति और सामाजिक विभाजन का मेल नहीं होना चाहिए।