"सामाजिक विभाजन अधिकांशतः जन्म पर आधारित होता है।" समझाइये। भारत में सामाजिक विभाजनों की राजनीति के परिणाम पर प्रकाश डालिए।
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सामाजिक विभाजन अधिकांशतः जन्म पर आधारित होता है क्योंकि हम जन्म के आधार पर ही किसी विशेष समुदाय के सदस्य हो जाते हैं। जन्म पर आधारित सामाजिक विभाजन का अनुभव हम अपने दैनिक जीवन में लगभग प्रतिदिन करते हैं।
भारत में सामाजिक विभाजनों की राजनीति के परिणाम भारत में सामाजिक विभाजनों की राजनीति के परिणाम को निम्नलिखित बिन्दुओं के अन्तर्गत स्पष्ट किया गया है-
1. भारतीय पहचान के प्रति आग्रह-भारत में लोग अपनी बहुस्तरीय पहचान के प्रति सचेत हैं और उन्हें राष्ट्रीय पहचान का हिस्सा या सहयोगी मानते हैं। वे खुद को पहले भारतीय मानते हैं और प्रदेश, क्षेत्र, भाषा-समूह या धार्मिक या सामाजिक समुदाय का सदस्य बाद में।
2. संविधान सम्मत माँगों को स्वीकृति-भारत में सामान्यतः विभिन्न राजनीतिक दलों द्वारा अपनी-अपनी माँगें प्रस्तुत की जाती हैं लेकिन सभी राजनीतिक दल संविधान के दायरे में आने वाली माँगें ही उठा रहे हैं ताकि उनसे दूसरे समुदाय को कोई नुकसान न पहुँचे।
3. सरकार का अल्पसंख्यक समुदाय की माँगों के प्रति उदार दृष्टिकोण-भारत में सामाजिक विभाजनों की राजनीति का एक परिणाम यह हुआ है कि सरकार ने अल्पसंख्यक समुदाय की उचित माँगों को पूरा करने का प्रयास ईमानदारी से किया है, जिससे राष्ट्रीय एकता को कोई खतरा उत्पन्न नहीं हुआ है।
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