राजस्थान के प्रमुख शासकों का परिचय दीजिए।
Download our app for free and get startedPlay store
राजस्थान में कई ऐसे शासक हुए हैं, जिन्हें हम वीर और महान कह सकते हैं क्योंकि उन्होंने अपने कार्यों से प्रदेश को गौरवान्वित किया है। ऐसे ही कुछ प्रमुख शासकों का परिचय निम्नलिखित है
1. पृथ्वीराज चौहान (1177-1192 ई): पृथ्वीराज चौहान का जन्म सन् 1166 ई. में गुजरात के पाटण में हुआ था। उनके पिता का नाम सोमेश्वर एवं माता का नाम कर्पूरदेवी था । पृथ्वीराज की अल्पायु में ही उनके पिता की मृत्यु हो गई। ऐसी स्थिति में माता कर्पूरदेवी ने संरक्षिका के रूप में शासन का भार संभाला। शासक बनने के उपरांत पृथ्वीराज चौहान ने सर्वप्रथम अपनी आंतरिक शक्ति को बढ़ाया । उनमें योग्य प्रशासक, वीर एवं साहसी योद्धा व सेनानायक तथा विद्यानुरागी आदि सभी गुण विद्यमान थे। अत: पृथ्वीराज चौहान का नाम भारत के प्रतापी शासकों में महत्त्वपूर्ण स्थान रखता है।
2. महाराणा कुम्भा (1433-1468 ई): परमार वंश के कलाप्रेमी शासक महाराणा कुम्भा का जन्म सन् 1417 ई. में चित्तौड़ में हुआ। उन्होंने 1433 ई. में मेवाड़ का शासन भार संभाला। महाराणा की उपलब्धियों में बूंदी, सिरोही, गागरोन व वागड़ की विजय तथा मेवाड़ की मारवाड़ से मैत्री संबंध महत्त्वपूर्ण हैं। कुम्भा का शासन काल मेवाड़ के इतिहास का स्वर्ण युग था। मेवाड़ में स्थित 84 दुर्गों में से 32 दुर्ग कुम्भा ने बनवाए। कुम्भा महान संगीतकार व साहित्यकार भी थे। इस प्रकार, महाराणा कुम्भा के व्यक्तित्व में कटार, कला व कलम की त्रिवेणी विद्यमान थी।
3. महाराणा सांगा (1509-1528 ई): इनका जन्म 12 अप्रैल, 1482 को चित्तौड़ में हुआ, इनका वास्तविक नाम संग्राम सिंह था। इनके पिता राणा रायमल थे। राणा सांगा ने उत्तराधिकार के युद्ध में विजय प्राप्त करके मेवाड़ का शासन संभाला। इन्होंने लोधी वंश के अफगान राजाओं तथा तुर्की के मुगलों से निरंतर लोहा लिया और अपने राज्य की सुरक्षा की। महाराणा सांगा एक पराक्रमी योद्धा थे, साथ ही अपनी वीरता और उदारता के लिए प्रसिद्ध हैं। इन्होंने सभी राजपूत राज्यों को संगठित कर राजपूताना संघ का निर्माण एवं नेतृत्व किया।
4. मालदेव (1532-1562 ई): मालदेव राठौड़ वंश के राव गांगा के पुत्र थे, इनका जन्म 5 दिसम्बर, 1511 ई. को हुआ। मालदेव 1532 ई. में मारवाड़ के शासक बने । वे स्वतंत्रता प्रेमी एवं महत्त्वाकांक्षी प्रवृत्ति के थे। उन्होंने कभी भी तत्कालीन सूर वंश या हुमायूँ द्वारा सत्ता को पुनः प्राप्ति कर लेने पर मुगल वंश के साथ अपने राज्य का विलय नहीं किया। बल्कि निरंतर सैनिक विजयों और कूटनीति से मारवाड़ की सीमा का विस्तार किया। अतः राव मालदेव का शासन काल मारवाड़ का शौर्य युग कहलाता है।
5. महाराणा प्रताप (1572-1597 ई): महाराणा प्रताप का जन्म 9 मई, 1540 ई. को कुम्भलगढ़ में हुआ। ये उदयसिंह के ज्येष्ठपुत्र थे, इनकी माता का नाम जयवन्ता बाई था। राणा प्रताप का राज्याभिषेक 28 फरवरी, 1572 ई. को किया गया। महाराणा प्रताप अपनी वीरता और युद्ध कला के लिए जाने जाते हैं। इन्होंने महत्त्वाकांक्षी मुगल शासक अकबर । की अधीनता कभी स्वीकार नहीं की। अपितु अपनी मातृभूमि मेवाड़ की रक्षार्थ अपना सब कुछ न्यौछावर कर दिया।
6. महाराजा रायसिंह (1574-1612 ई): रायसिंह का जन्म 20 जुलाई, 1541 ई. को बीकानेर के राव कल्याणमल के घर ज्येष्ठ पुत्र के तौर पर हुआ। महाराजा रायसिंह का राज्याभिषेक 1574 ई. में हुआ। इन्होंने अपने रणकौशल का परिचय देते हुए गुजरात, काबुल, कंधार एवं दक्षिण भारत के अभियानों में सफलता प्राप्त की। ये अपनी दानशीलता हेतु प्रसिद्ध थे, अत: इन्हें 'राजपूताने का कर्ण' भी कहते हैं।
7. मिर्जाराजा जयसिंह( 1621-1667 ई): जयसिंह प्रथम का जन्म 15 जुलाई, 1611 ई. को आमेर में हुआ था। इनके पिता राजा माहा सिंह तथा माता दमयंती थीं। ये सन् 1621 ई में आमेर की राजगद्दी पर बैठे और विभिन्न सैनिक अभियानों में अपने उत्तरदायित्व का निर्वहन किया। शाहजहाँ ने 1639 ई. में जयसिंह को 'मिर्जा-राजा' की उपाधि दी। मिर्जा-राजा जयसिंह वीर सेनानायक और कुशल राजनीतिज्ञ होने के साथसाथ साहित्य और कला के प्रेमी भी थे।
8. महाराजा जसवन्त सिंह (1638-1678 ई): जसवन्त सिंह का जन्म दिसम्बर, 1626 ई. में बुरहानपुर में हुआ था। इनके पिता गजसिंह की मृत्यु के उपरांत इनका राज्याभिषेक किया गया। इन्होंने मुगल उत्तराधिकार युद्ध में शाहजहाँ का साथ दिया, अतः शाहजहाँ ने इन्हें 'महाराजा' की उपाधि प्रदान की। इन्होंने मुगलों के लिए अनेक सैनिक अभियान किए, दक्षिण भारत में औरंगाबाद के निकट जसवंतपुरा कस्बा बसाया।
9. महाराजा राजसिंह प्रथम(1652-1680 ई): महाराणा जगतसिंह के पुत्र राजसिंह का जन्म 24 सितम्बर, 1629 को हुआ, इनकी माता का नाम महारानी मेडतणीजी था। मात्र 23 वर्ष की छोटी आयु में उनका राज्याभिषेक हुआ। उन्होंने मुगल उत्तराधिकार के युद्ध में औरंगजेब का साथ दिया, परंतु उसकी धर्मान्धता ने उन्हें उसका विरोधी बना दिया। महाराजा ने औरंगजेब का निरंतर विरोध किया और हिन्दू धर्म की रक्षा की।
10. सवाई जयसिंह (1699-1743 ई): इनका जन्म 3 नवम्बर, 1688 ई. को आमेर में हुआ। इनके पिता महाराजा बिशन सिंह की मृत्यु के पश्चात् 12 वर्ष की अवस्था में इन्होंने 1699 में राजगद्दी की जिम्मेदारी संभाली। इनका अधिकांश समय सैनिक अभियानों, मुगल राजनीति और मराठों का विरोध करने में पूर्ण हुआ। तत्कालीन मुगल सम्राट औरंगजेब ने उन्हें 'सवाई' की उपाधि प्रदान की। राजस्थान के इतिहास में सवाई जयसिंह की गिनती महान शासक, सेनापति, विद्वान, आश्रयदाता और नक्षत्र एवं गणित विद्या के जानकार के तौर पर होती है।
11. महाराजा सूरजमल (1755-1763 ई): महाराजा सूरजमल का जन्म फरवरी, 1707 में हुआ। इनके पिता बदनसिंह ने अपनी अस्वस्थता को देखते हुए, 1755 ई. में इन्हें जाट साम्राज्य का राजा बना दिया । सूरजमल वीर सेनानायक, चतुर कूटनीतिज्ञ एवं कलाप्रेमी शासक थे। इन्होंने अपनी योग्यता से भरतपुर राज्य को विस्तारित किया और गाजियाबाद, रोहतक, झज्जर, आगरा, धौलपुर, मैनपुरी, हाथरस, बनारस व फर्रुखनगर आदि को जीत लिया।
art

Download our app
and get started for free

Experience the future of education. Simply download our apps or reach out to us for more information. Let's shape the future of learning together!No signup needed.*

Similar Questions

  • 1
    पृथ्वीराज चौहान की वीरता एवं साहस का वर्णन कीजिए।
    View Solution
  • 2
    महाराणा प्रताप के संघर्षों को रेखांकित कीजिए
    View Solution