राजस्थान में जल संरक्षण का प्राचीन काल से ही बहुत महत्त्व रहा है। राजस्थान के लगभग हर क्षेत्र में परम्परागत जल संरक्षण की विधियाँ अपनाई गई हैं। इनके अन्तर्गत पारम्परिक जल स्रोत कुएं, बावड़ियाँ, जोहड़, टांके, खड़ीन आदि का उपयोग जल संरक्षण के लिये किया जाता है। राजा-महाराजाओं ने झीलों के निर्माण द्वारा भी जल संरक्षण का कार्य किया।