(b) रोमामि उपकला में सरल स्तंभी उपकला कोशिकाएं होती हैं। इसके अलावा इनके स्वतंत्र सिरों पर महीन बाल के समान संरचनाएं जिन्हें सीलिया कहते हैं, होती हैं। सीलिया एक खास दिशा में लयबद्ध लहर की गति करती है। सीलिया की गति कलश कोशिकाओं द्वारा स्त्रावित श्लेष्मा को उसी दिशा में बहने के लिए प्रेरित करती है। रोमामि उपकला सामान्यतः वायु जाने के मार्ग जैसे नाक में पायी जाती है। ये मादाओं के गर्भाशय और फेलोपियन नलिका में भी पायी जाती है। सीलिया की गति के कारण अण्डाणु गर्भाशय में प्रवेश करते हैं।