सिद्ध कीजिए कि प्रत्यावर्ती धारा का शिखर मान (Im) उसके वर्ग माध्य मूल (rms) का $\sqrt{2}$ गुना होता है।
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प्रत्यावर्ती धारा का वर्ग माध्य मूल (r.m.s.) मान, दिष्ट धारा के उस मान के तुल्य होता है, जो कि उतना ही ऊष्मीय प्रभाव प्रदर्शित करता हो, जितना कि प्रत्यावर्ती धारा। इसे हम $I _{ rms }$ या $I_{\text {eff }}$ से प्रदर्शित करते हैं। गणितीय परिभाषा के रूप में "एक पूर्ण चक्र के लिये तात्क्षणिक प्रत्यावर्ती धारा के वर्ग के माध्यमान का वर्गमूल, प्रत्यावर्ती धारा का वर्गमाध्य मूल (r.m.s.) कहलाता है।" तात्क्षणिक प्रत्यावर्ती धारा का समीकरण $I = I _0 \sin \omega t$ ................(1) प्रत्यावर्ती धारा के तात्क्षणिक मान का वर्ग करने पर $I ^2= I _0^2 \sin ^2 \omega t$ ............(2) I2 का माध्य एक आवर्तकाल के लिये होगा। https://pg-data.sgp1.digitaloceanspaces.com/chapter_wise/23035/T13.png" alt="Image" width="180" height=""> $\overline{I^2}=\frac{\int_0^T I^2 d t}{\int_0^{ T } d t}=\frac{1}{T} \int_0^{ T } I_0^2 \sin ^2 \omega t d t$ $\overline{I^2}=\frac{I_0^2}{T} \int_0^T \sin ^2 \omega t d t$ $=\frac{ I _0^2}{T} \int_0^{ T }\left[\frac{1-\cos 2 \omega t }{2}\right] dt$ $\because \sin ^2 \omega t =\frac{1-\cos 2 \omega t }{2}$ $=\frac{ I _0^2}{2 T} \int_0^{ T }[1-\cos 2 \omega t ] dt$ $=\frac{ I _0^2}{2 T}\left[\int_0^{ T } dt -\int_0^{ T } \cos 2 \omega tdt \right]$ $=\frac{ I _0^2}{2 T}\left[\{ t \}_0^{ T }-\left\{\frac{\sin 2 \omega t }{2 \omega}\right\}_0^{ T }\right]$ $[\because \omega T =2 \pi]$ $=\frac{I_0^2}{2 T}\left[T-\frac{1}{2 \omega}\left\{\frac{\sin 2 \omega \times 2 \pi}{\omega}-\sin 0\right\}\right]$ $=\frac{I_0^2}{2 T}\left[T-\frac{1}{2 \omega}\{\sin (4 \pi)-\sin 0\}\right]$ $=\frac{ I _0^2}{2 T}\left[ T -\frac{1}{2 \omega}\{0-0\}\right]$ $\overline{I^2}=\frac{I_0^2}{2 T} \times T=\frac{I_0^2}{2}$ {$\because$ sin 4𝝅=sin00=0} वर्गमूल लेने पर $\sqrt{\overline{ I ^2}}=\frac{ I _0}{\sqrt{2}}$ $I _{ rms }=0.707 I _0$ .........(3) $\left[\because \frac{1}{\sqrt{2}}=0.707\right]$ Irms = I0 का 70.7% ..........(4) समीकरण (4) से स्पष्ट है कि प्रत्यावर्ती धारा का वर्गमाध्य मूल मान, धारा के शिखर मान (Io) का 70.7% होता है। इसे निम्न आलेख से व्यक्त कर सकते हैं- https://pg-data.sgp1.digitaloceanspaces.com/chapter_wise/23035/T14.png" alt="Image" width="150" height="">
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ट्रांसफार्मर का सिद्धान्त लिखिए। संक्षेप में ट्रांसफार्मर की कार्यविधि समझाइये तथा कुण्डलियों में फेरों की संख्या तथा वोल्टताओं के मध्य सम्बन्ध स्थापित कीजिए। आवश्यक चित्र बनाइए।
प्रत्यावर्ती धारा परिपथ में प्रतिघात व प्रतिबाधा से क्या अभिप्राय है? एक श्रेणी LCR परिपथ में VOC > VOL मानते हुए सदिश आरेख चित्र द्वारा इस परिपथ की प्रतिबाधा व विभवान्तर और धारा में कलान्तर ज्ञात कीजिए।
(a) फेजर आरेख का उपयोग करके, a.c. स्रोत, जिसकी वोल्टता $v=v_0 \sin \omega t$ से सम्बद्ध किसी आदर्श प्रेरक में प्रवाहित धारा के लिए व्यंजक व्युत्पन्न कीजिए। इस प्रकार $\omega t$ के फलन के रूप में
(i) अनुप्रयुक्त वोल्टता और (ii) धारा के विचरण के ग्राफ खींचिए। (b) किसी श्रेणी LCR परिपथ में औसत शक्ति-क्षय के लिए व्यंजक व्युत्पन्न कीजिए।
उन कारकों का उल्लेख कीजिए जिन पर किसी LCR श्रेणी परिपथ की अनुनाद की आवृत्ति निर्भर करती है। अनुप्रयुक्त ac स्रोत की आवृत्ति के साथ LCR श्रेणी परिपथ की प्रतिबाधा में विचरण को दर्शाने के लिए ग्राफ खींचिए।