उपभोक्ता को अनेक अधिकार दिए गए हैं जिनमें से सूचना पाने का अधिकार सबसे महत्त्वपूर्ण अधिकार है। जब हम कोई वस्तु खरीदते हैं तो उस वस्तु के डिब्बे पर हमें कई प्रकार की जानकारियाँ दी होती हैं, जैसे-कम्पनी का नाम व पता, अधिकतम खुदरा मूल्यं, उत्पादन की तिथि, समाप्ति की तिथि, वस्तु की कीमत, बैच संख्या, वस्तु के अवयव आदि। यह सब उस डिब्बे पर इसलिए लिखा होता है क्योंकि हमें सूचना पाने का अधिकार होता है। सूचना पाने के अधिकार के तहत उपभोक्ता जिन वस्तुओं और सेवाओं को खरीदता है उसके बारे में उसे सूचना पाने का अधिकार है। तब उपभोक्ता वस्तु की किसी भी प्रकार की खराबी होने पर शिकायत कर सकता है तथा मुआवजा पाने या वस्तु बदलने की माँग कर सकता है। उदाहरण के लिए यदि कोई व्यक्ति अपनी वस्तु को अधिकतम खुदरा मूल्य से अधिक कीमत पर बेच रहा है अथवा यदि कोई व्यक्ति अंतिम तिथि समाप्त होने के पश्चात् भी दवाई बेचता है तो उसके खिलाफ कार्यवाही की जा सकती है।
वर्तमान में सरकार द्वारा प्रदत्त विविध सेवाओं को उपयोगी बनाने के लिए सूचना पाने के अधिकार को बढ़ा दिया गया है। सन् 2005 में भारत सरकार ने एक कानून लागू किया जो RTI (राइट टू इनफॉरमेशन) या सूचना पाने के अधिकार के नाम से जाना जाता है। इसके अन्तर्गत हम अपने हित से सम्बन्धित कोई भी सूचना प्राप्त कर सकते हैं। सूचना पाने के अधिकार का उपभोक्ता संरक्षण में महत्त्वपूर्ण योगदान है, इससे उपभोक्ता को शोषण से बचाने में मदद मिलती है।