ऊर्जा की आवश्यकता हमें जीवन के प्रारंभिक काल से ही रही है। विकास के आरंभिक दौर में शारीरिक ऊर्जा का उपयोग किया गया । कालांतर में लकड़ी, कोयला, पेट्रोलियम, जलविद्युत, परमाणु ऊर्जा का उपयोग बढ़ा । परंतु अब तो सौर ऊर्जा, पवन ऊर्जा, ज्वारीय ऊर्जा, भूतापीय ऊर्जा एवं बायोगैस का भी हम उपयोग करने लगे हैं।
ऊर्जा के इन साधनों को वृहत रूप से दो वर्गों में रखा जाता है”
- परंपरागत स्रोत
- गैर परंपरागत स्रोत ।