गरम वायु अपने ऊपर की ठंडी वायु की तुलना में हल्की (कम सघन) होती है तथा इसका अपवर्तनांक ठंडी वायु की अपेक्षा थोड़ा कम होता है। क्योंकि अपवर्तक माध्यम (वायु) की भौतिक अवस्थाएँ स्थिर नहीं हैं। इसलिए गरम वायु में से देखने पर वस्तु की आभासी स्थिति परिवर्तित होती रहती है। यह अस्थिरता हमारे स्थानीय पर्यावरण में लघु स्तर पर वायुमंडलीय अपवर्तन (पृथ्वी के वायुमंडल के कारण प्रकाश का अपवर्तन ) का ही एक प्रभाव है।
तारों का टिमटिमाना: प्रतिक्षण परिवर्तित होने वाले वायुमंडल द्वारा तारों से आने वाले प्रकाश का विभिन्न मात्राओं में अपवर्तन होता है। जब वायुमंडल हमारी ओर अधिक मात्रा में तारों का प्रकाश अपवर्तित करता है। तब हमें तारे चमकीले प्रतीत होते हैं जबकि वायुमंडल द्वारा तारों के प्रकाश का कम मात्रा में अपवर्तन पर तारे कम चमकीले (धुँधले) प्रतीत होते हैं।
ग्रह तारों की अपेक्षा पृथ्वी के बहुत पास हैं और इसलिए उन्हे विस्तृत प्रकाश स्रोत के समान माना जा सकता है। अतः उन्हे बिन्दु सदृश प्रकाश स्त्रोत नहीं माना जा सकता है। अतः वे टिमटिमाते हुए प्रतीत नहीं होते हैं।