अगर मैं रोजा पार्क्स की जगह होती तो वही करती जो पार्क्स ने किया था। क्योंकि श्वेत और अश्वेत लोगों में फर्क करना गलत है। कोई इन्सान काला और गोरा खुद से नहीं बनता, यह भगवान का दिया हुआ रंग-रूप होता है।
फिर इस रंग-रूप को लेकर इंसानों के बीच भेद-भाव क्यों होता है। मैं भी रोजा पार्क्स की तरह अपनी जगह उस श्वेत व्यक्ति को नहीं देती क्योंकि जिस तरह से वह व्यक्ति काम करके थका था उसी तरह रोजा पास भी काम करके थकी हुई थी और फिर वह बस में चढी भी पहले थी।