यदि कोई दम्पत्ति आगे कोई संतान उत्पत्ति की चाहत नहीं रखता तो वे स्थायी गर्भ निरोधक विधि के रूप शल्य क्रिया विधियाँ या बंध्यकरण [नसंबदी (पुरुष या महिला नसबंदी) जिसे शुक्रवाहक उच्छेदन (Vasectomy) या नलिका उच्छेदन (Tubectomy) कहते हैं।] विधि को अपनायेंगे। ये तकनीके बहुत ही प्रभावशाली होती है। इनसे पूर्व स्थिति में लौटना प्रायः बहुत मुश्किल होता है। शुक्रवाहक उच्छेदन में पुरुष के वृषणकोष में छोटा चीरा लगाकर शुक्रवाहिका का एक छोटा सा भाग काटकर निकाल या बांध दिया जाता है। नलिका उच्छेदन के अन्तर्गत स्त्री के उदर में चीरा लगाकर या योनी द्वारा अण्डवाहिनी का एक छोटा स भाग काट कर निकाल या बाँध दिया जाता है। इससे अंडाणु एवं शुक्राणु का आपस में सम्पर्क नहीं हो पाता। अतः युग्मनज निर्माण या संतति उत्पन्न होने की संभावना खत्म हो जाती है।