1450-1550 की अवधि में यूरोप के अधिकतर देशों में छापेखाने लग गए थे। जर्मनी के मुद्रक अन्य देशों में जाकर नये छापेखाने खुलवाया करते थे। छापेखानों की संख्या में वृद्धि से पुस्तक उत्पादन भी बढ़ा। पन्द्रहवीं सदी के उत्तरार्द्ध में यूरोप के बाजार में 2 करोड़ तथा 16वीं सदी में 20 करोड़ छपी हुई पुस्तकें आईं।