(1) 1854 के बाद कंपनी ने देशी शिक्षा व्यवस्था में सुधार लाने हेतु इसकी मौजूदा व्यवस्था के भीतर बदलाव किया। कंपनी ने एक नई दिनचर्या, नए नियमों और नियमित निरीक्षणों के जरिए पाठशालाओं को और व्यवस्थित किया।
(2) इसके लिए सबसे पहले तो कंपनी ने बहुत सारे पंडितों को सरकारी नौकरी पर रख लिया। इनमें से प्रत्येक पंडित को 4-5 स्कूलों की देखरेख का जिम्मा सौंपा जाता था। पंडितों का काम पाठशालाओं का दौरा करना और वहाँ अध्यापन की स्थितियों में सुधार लाना था।
(3) प्रत्येक गुरु को निर्देश दिया गया कि वे समय-समय पर अपने स्कूल के बारे में रिपोर्ट भेजें और कक्षाओं को नियमित समय-सारणी के अनुसार पढ़ाएँ।
(4) अध्यापन को पाठ्यपुस्तकों पर आधारित किया गया और विद्यार्थियों की प्रगति को मापने के लिए वार्षिक परीक्षाओं की रूपरेखा तैयार की जाने लगी।
(5) विद्यार्थियों से कहा गया कि वे नियमित रूप से शुल्क दें, नियमित रूप से कक्षा में आएँ, तय सीट पर बैठें और अनुशासन के नियमों का पालन करें।