(1) यह शिक्षा के विषय में एक नोट था। चूँकि यह कम्पनी के नियंत्रक मण्डल के अध्यक्ष चार्ल्स वुड के नाम से जारी किया गया था, अतः इसे 'वुड्स डिस्पैच' कहा जाता है।
(2) इस डिस्पैच में प्राच्यवादी ज्ञान के स्थान पर यूरोपीय शिक्षा अपनाने से होने वाले व्यावहारिक लाभ पर बल दिया गया।
(3) इसके मुताबिक यूरोपीय शिक्षा के माध्यम से भारतीयों को व्यापार-वाणिज्य के विस्तार से होने वाले लाभों को समझने में मदद मिलेगी।
(4) इसके अनुसार यूरोपीय जीवन शैली से परिचित होने पर उनकी रुचि तथा इच्छाओं में बदलाव आएगा तथा ब्रिटिश वस्तुओं की माँग पैदा होगी।
(5) इसके अनुसार यूरोपीय शिक्षा से भारतीयों के नैतिक चरित्र का उत्थान होगा।
(6) इसके अनुसार प्राच्य साहित्य न केवल भयानक त्रुटियों से भरा हुआ था बल्कि यह लोगों में काम के प्रति दायित्व और समर्पण का भाव भी पैदा नहीं कर सकता था।