19वीं सदी में भारत में सक्रिय ईसाई प्रचारकों द्वारा व्यावहारिक शिक्षा की आलोचना क्यों की गई?
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ईसाई प्रचारकों का मानना था कि शिक्षा का उद्देश्य लोगों के नैतिक चरित्र में सुधार लाना होना चाहिए तथा नैतिकता का उत्थान केवल ईसाई शिक्षा के जरिए ही संभव होगा।
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