19वीं शताब्दी में लोकतंत्र के लिए संघर्ष हुआ। इसमें प्रगति भी हुई। यह संघर्ष नागरिकों के राजनैतिक समानता, लोगों की स्वतंत्रता तथा न्यायिक निष्पक्षता जैसे मूल्यों के प्राप्ति तक ही सीमित रहा । अभी तक सार्वभौम वयस्क मताधिकार जनता को प्राप्त नहीं थे।
1900 ई. तक न्यूजीलैण्ड को छोड़कर किसी भी देश में जनता को सार्वजनिक वयस्क मताधिकार प्राप्त नहीं था । न्यूजीलैण्ड में 1893 ई. में ही जनता को सार्वजनिक वयस्क मताधिकार प्राप्त हो गया। कुछ देशों में मताधिकार उन्हीं को प्राप्त था जिसके पास निजी संपत्ति थी । अमेरिका में आम महिलाओं के साथ अश्वेत पुरुषों को भी मताधिकार मिला । इस तरह 19वीं शदी में लोकतंत्र की स्थापना हेतु संघर्ष की जरूरत थी। अतः वे लोग चाहे वह महिला हो अथवा पुरुष, चाहे वह गरीब हो या अमीर और चाहे श्वेत हो या अश्वेत, मताधिकार प्राप्ति हेतु संघर्ष करने लगे। इस तरह अब तक इतना तो अवश्य हो चुका था कि यूरोप, उत्तरी और दक्षिणी अमेरिका में आधुनिक लोकतंत्र की स्थापना का प्रारम्भिक चरण पूरा हो चुका था। इन देशों में बड़ी संख्या में लोगों ने अपनी मर्जी से सरकार का चयन किया ।