महिलाओं के बारे में यह प्रचलित धारणा कि वे पुरुषों के समान कार्य नहीं कर सकती है, की वजह से महिलाओं के अधिकतर प्रभावित होते. हैं। लोगों की इस सोच की वजह से तो पहले लड़कियों की पढ़ाई में ही दो भेद होता है। लड़कियों को अधिक पढ़ाया-लिखाया नहीं जाता क्योंकि लड़कियों को तो बड़ा होकर दूसरों के घर को संभालना है और चूल्हा ही फूंकना है तो फिर ज्यादा पढ़ने की क्या जरूरत है। अगर लड़की पढ़ने में अच्छी है और उसमें योग्यता है कि वे कुछ कर दिखाए।
फिर उसे पढ़ाई नहीं करने दिया जाता है और उन्हें शादी के लिए प्रेरित किया जाता है। अगर कोई लड़की तकनीकी क्षेत्र में जाना चाहे, तकनीकी क्षेत्र से जुड़े किसी विषय की पढ़ाई करना चाहें या फिर सेना में भर्ती होना चाहे तो ऐसा नहीं करने दिया जाता क्योंकि लोगों के हिसाब से तो ये सारे कार्य पुरुष ही कर सकते हैं महिलाएँ नहीं।
लोगों की इसी सोच की वजह से अगर कोई महिला नौकरी करती है, तो उसे अपने पदोन्नति के लिए मुरुषों से कहीं ज्यादा मेहनत करनी पड़ती है और खुद को साबित करना पड़ता है क्योंकि आज भी महिलाओं को पुरुषों से कमतर माना जाता है। किसी भी जगह पर महिलाओं की अपेक्षा पुरुषों पर पहले ध्यान दिया जाता है।
अगर कोई महिला कुछ अलग करना चाहती है तो उसके लिए उस काम को करने से कहीं ज्यादा मुश्किल होता है लोगों को ये यकीन दिलाना की वह भी ये काम कर सकती हैं और उसे भी मौका दियाजाना चाहिए। आज भी बहुत सारे क्षेत्र हैं जहाँ महिलाओं को लोगों की इस -सोच का शिकार होना पड़ता है, जैस गाँव में पुरुष और महिलाएं दोनों खेतोंपर काम करते हैं, पर महिलाओं को दी जाने वाली मजदुरी पुरुषों को दी जाने वाली मजदूरी से कम होती है। इसलिए लोगों को अपनी सोच बदलनी चाहिए और महिलाओं और पुरुषों को समानता की नजर से देखना चाहिए।