महिला आंदोलन द्वारा अपनी स्थिति को मजबूत करने के लिए ‘किए गए दो प्रयासों में ‘दहेज के खिलाफ किया गया आर्दालन’ और ‘घरेलू हिंसा’ के खिलाफ आंदोलन शामिल है।
दहेज की वजह से औरतों से मार-पीट करना, उन्हें जलाना एक आम बात रही है। दहेज की वजह से कितने औरतों ने अपनी जान गंवाई। इसकेखिलाफ 1980 में औरतों के द्वारा एक जोरदार आंदोलन शुरू किया गया। इसमें महिलाओं ने बड़ी संख्या में भाग लिया । खासकर उन महिलाओं ने जिन्होंने दहेज की वजह से अपने बेटियों और बहनों को खोया था। इस आंदोलन के जरिए जगह-जगह नुक्कड़ नाटक किए और पीड़ित महिला व उनके परिवार वालों को कानूनी सलाह के साथ-साथ मानसिक बल भी दिया गया।
महिलाओं ने कचहरी में अपनी मांगों को रखा । आंदोलन की वजह से दहेज समाज का एक बड़ा मुद्दा बन गया और समाचार पत्रों में इसके खिलाफ बहस हुई। जिसके परिणामस्वरूप दहेज कानून बना जिसके तहत वैसे लोगोंको दंड दिया जा सके, जो इस प्रकार के अपराध में शामिल होते हैं। घरेलू हिंसा जैसे-महिलाओं के साथ मार-पीट, गाली-गलौज और छोटी-छोटी बातों पर उन्हें प्रताड़ित करना एक आम बात हो गयी है। यह एक आम बात होने के साथ ही एक गंभीर समस्या भी है।
घरेलू हिंसा के तहत महिलाओं को शारीरिक जाति के साथ ही मानसिक क्षति पहुँचाने की कोशिश भी की जाती है। इसके खिलाफ महिला समूह बहुत ही लंबे समय से संघर्ष करती आ रही है। उनके इस संघर्ष के फलस्वरूप 2006 में घरेलू हिंसा उत्पीड़न कानून पारित हुआ। जिसके तहत महिलाओं के ऊपर घर में.हाने वाले शारीरिक और मानसिक हिंसा को रोका जाएगा।